Pages

मोदीराज लाओ

मोदीराज लाओ
भारत बचाओ

मंगलवार, 18 सितंबर 2012

दंगाई आइना देखते ही क्यों भड़क उठते हैं?

पैग़ंबर मोहम्मद पर बनी विवादित फ़िल्म के विरोध की आंच मध्यपूर्व, यूरोप और अमरीका सहित भारत में भी पहुंच चुकी है लेकिन ये फिल्म दुनियाभर में लोगों को आखिर क्यों उकसा रही है.

फिल्म में क्या दिखाया गया है?

इनोसेंस ऑफ मुस्लिमस नामक इस फिल्म में इस्लाम को हिंसा (अधिक जानकारी के लिए यहां पढ़ें।) और द्वेष फैलाने वाले धर्म के रुप में दिखाया गया है. फिल्म के चित्रण के मुताबिक पैगंबर मुहम्मद मूर्ख और सत्ता-लोभी शख्स थे

.

 

सच्चाई हमेशा कड़वी ही लगती है

फिल्म की शुरुआत में एक इसाई परिवार को मुसलमानों द्वारा प्रताड़ित होते दिखाया गया है, जो मध्यपूर्व में इसाईयों के खिलाफ़ हुए हमलों का संकेत देता है. फिल्म के कई हिस्सों में पैगंबर और उनके सहयोगियों को धन-संपत्ति के लिए महिलायों और बच्चों की हत्या करते दिखाया गया है.

फिल्म में क्या है?

बेन्गाज़ी में हमला

बेन्गाज़ी में फ़िल्म के विरोध में हुए हिंसक प्रदर्शन में अमरीकी राजदूत समेत कई लोग मारे गए हैं.

पैगंबर मुहम्मद को किसी भी रुप में साकार करना अपने आप में गैर-इस्लामी है. इस फिल्म में उन पर कई कटाक्ष किए गए हैं. उनकी पत्नी ख़दीजा और उनके सहयोगियों के खिलाफ़ भी फिल्म में कई टिप्पणियां है ये सभी ईश-निंदा के अंतर्गत आते हैं.

इसके अलावा पैगंबर मुहम्मद का किसी स्त्री के साथ प्रेमालाप, उनका लालच और हिंसात्मक चित्रण अपने आप में अपमानजनक है.

क्या कहना है फिल्म के अभिनेताओं का?

सैम बेसाइल नाम के एक व्यक्ति ने फ़िल्म का निर्माण किया है जो ख़ुद को अमरीका में रहने वाले यहूदी बताते हैं और रियल स्टेट कारोबारी हैं. वॉल स्ट्रीट जर्नल के अनुसार सैम बेसाइल ने लगभग 50 लाख डॉलर में ये फ़िल्म बनाई है. ये धनराशि उन्होंने 100 यहूदियों से मांग कर जमा किया था. सैम बेसाइल ने इसे एक राजनीतिक फ़िल्म क़रार देते हुए कहा था कि इस्लाम एक कैंसर है.

जिस तरह के हालात इन दिनों हैं उनमें किसी भी संदर्भ में प्रदर्शन भड़क सकते हैं.

पैगंबर मोहम्मद का मजाक उड़ाते कार्टून

वर्ष 2005 में डेनमार्क के एक अखबार ने पैगंबर मोहम्मद को दर्शाते कार्टून प्रकाशित किए.

अख़बार युलांस पोस्टन ने 12 कार्टूनों की सिरीज़ प्रकाशित की जिनमें से कई कार्टूनों में पैगंबर को इस्लामी चरमपंथी के रूप में प्रदर्शित किया गया था.

फिर वर्ष 2006 में एक फ़्रांसीसी पत्रिका ने दोबारा इन कार्टूनों को छापा, जिसके बाद दुनिया भर में मुसलमानों की ओर से तीखी प्रतिक्रिया आई.

ये सारी सामग्री इन समाचारों का सार है

http://www.bbc.co.uk/hindi/news/2011/04/110411_france_veil_va.shtml

http://www.bbc.co.uk/hindi/news/2012/09/120912_film_islam_da.shtml

http://www.bbc.co.uk/hindi/entertainment/2012/09/120910_midnight_film_release_india_psa.shtml

http://www.bbc.co.uk/hindi/news/2012/09/120912_islam_disrespect_da.shtml

http://www.bbc.co.uk/hindi/news/2012/09/120915_prophet_film_question_pa.shtml

मुसलमानों द्वारा भारत के विभिन्न हिस्सों में किए जा रहे भारतीयों के कतलयाम को देखते हुए कोई भी समझदार इनसान इसी निशकर्ष पर पहुंचेगा कि इसलाम की स्थापना करने वाला जरूर कोई शैतान ही रहा होगा वरना ये कातिल इस तरह मानबता को लहुलूहान कर हिन्दूओं द्वारा आक्रमणकारी मुसलमानों के प्रति दिखाए गए भाईचारे को खतरे में न डालते

1 टिप्पणी:

Unknown ने कहा…

इस्लाम एक कैंसर है. These words are enough to define