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मोदीराज लाओ

मोदीराज लाओ
भारत बचाओ

शनिवार, 31 जनवरी 2009

आतंकवाद पर सेकुलर गिरोह की भ्रमित सोच

मुम्बई पर हमले ने हमें कश्मीर में मिले सबक को फिर से याद करवा दिया कि किस तरह इस सेकुलर गिरोह ने मुस्लिम जिहदियों के साथ मिलकर पहले हिन्दुत्वनिष्ठ हिन्दुओं को मरवाया जब हिन्दुत्वनिष्ठ हिन्दू खत्म हो गये तो फिर इस सेकुलर गिरोह से सबन्धित हिन्दुओं को भी जिहादियों द्वारा हलाल कर दिया गया । अब इस सेकुसर गिरोह के मुफ्ती मुहम्द सइद जैसे मुस्लिम अब वहां पर आतंकवादियों के चुने हुए प्रतिनिधि वन गय हैं।
मुस्लिम जिहाद का इतना सपष्ट खूनी चेहरा देख लेने के बाद भी इस सेकुलर गिरोह ने मुस्लिम आतंकवादियों का साथ देना नहीं छोड़ा व ये जिहाद सारे भारत में यथावत जारी है। जम्मू के मुस्लिम बहुल क्षेत्रों व आसाम में अभी दूसरा दौर चल रहा है तीसरे दौर की शुरूआत होने वाली है जबकि मुम्बई सहित बाकी सारा भारत पिछले काफी वर्षों से दूसरे दौर में है ।
वैसे तो सारे संसार में मुस्लिम और गैरमुस्लिम की इस लड़ाई में दो चरण होते हैं एक दारूल हरब और दूसरा दारूल इस्लाम । दारूल हरब में गैरमुस्लिमों की सरकार होती है जिसे मुसलमान अपनी सरकार नहीं मानते व देशभक्ति से जुड़े हर कदम-हर कानून का विरोध करते हैं। सब मुसलमानों को जिहाद के लिए उकसाते हैं। ज्यादा बच्चे पैदा करने का वचन लेते हैं । गैरमुस्लिमों की बेटियों को भगाते हैं । इस जिहाद के आगे बढ़ाने के लिए गैरमुस्लिमों पर हमला बोल देते हैं । साथ ही इनका जो मुस्लिम नेतृत्व होता है वो बहुसंख्यकों की प्रतिक्रिया से बचने के लिए व मुस्लिम देशों का सहयोग लेने के लिए मुस्लिमों पर हो रहे काल्पनिक अत्याचार, मुस्लिमों के पिछड़ेपन का दुष्प्रचार करता है। कुरान और शरियत का बहाना लेकर मुसलमानों को उस देश की मुख्यधारा में शामिल होने से रोकता हैं। ये तब तक चलता है जब तक मुस्लिमों की आबादी बहुसंख्यकों को धूल चटाने के काबिल नहीं हो जाती है जैसे ही ये स्थिति आती है अन्तिम हमला शुरू हो जाता है। इस दारूल हरब को दारूल इस्लाम बनाकर गैर मुस्लिमों का सफाया कर दिया जाता है । एक मुस्लिम राष्ट्र अस्तित्व में आ जाता है धीरे-धीरे गैर मुस्लिमों की हर निशानी को मिटा दिया जाता है । जैसे अफगानीस्तान में हिन्दुओं की लगभग हर निशानी मिटा दी गई।वेमियान में बौध मूर्तियों को तोड़ा जाना इसकी अंतिम कड़ी थी । पाकिस्तान,बांगलादेश में भी हिन्दुओं और हिन्दुओं से जुड़ी हर निशानी को मिटाने का काम अपने अंतिम दौर में है।
परन्तु भारत में जिहाद की प्रक्रिया तीन चरणों में थोड़े से अलग तरीके से पूरी होती है पहले चरण में मुसलमान हिन्दुओं की पूजा पद्धति पर सवाल उठाते हैं ।कभी-कभी धार्मिक आयोजनों पर हमला बोलते हैं ।अल्पसंख्यक होने की दुहाई देकर अपनी इस्लामिक पहचान बनाये रखने पर जोर देते हैं । अपने आप को राष्ट्र की मुख्यधारा से दूर रखते हैं धीरे-धीरे हिन्दुओं के त्योहारों पर व अन्य मौकों पर तरह-तरह के बहाने लेकर हमला करते हैं। हमला करते वक्त इनको पता होता है कि मार पड़ेगी पर फिर भी जिहाद की योजना के अनुसार ये हमला करते हैं। परिणामस्वरूप मार पड़ने पर मुसलमानों पर हो रही ज्यादतियों व अपने द्वारा किए गये हमले को हिन्दुओं द्वारा किया गया हमला बताकर मुस्लिम देशों में प्रचार करते हैं । अधिक से अधिक बच्चे पैदा करते हैं। बच्चों को स्कूल के बजाए मस्जिदों व मदरसों में शिक्षा की जगह जिहाद पढ़ाते हैं। फिर अपनी गरीबी का रोना रोते हैं । सरकार व विदेशों से आर्थिक सहायता पाना शुरू करते हैं फिर जैसे-जैसे आबादी बढ़ती जाती है, इनकी आवाज अलगावादी होती जाती है ।अपने द्वारा किए गये हमलों के परिणामस्वरूप मारे गये जिहादियों को आम मुसलमान बताकर जिहाद को तीखा करते हैं। इस बीच मदरसों-मस्जिदों व घरों में अवैध हथियार गोला बारूद इकट्ठा करते रहते हैं कुछ क्षेत्रों में बम्ब विस्फोट करते हैं प्रतिक्रिया होती है फिर अल्पसंख्कों पर अत्याचार का रोना रोया जाता है ।
दूसरे चरण में इस्लाम की रक्षा व प्रचार प्रसार के नाम पर सैंकड़ों मुस्लिम संगठन सामने आ जाते हैं। हिन्दुविरोधी नेताओं, लेखकों व प्रचार-प्रसार के साधनों को खरीदा जाता है। उन्हें उन हिन्दुओं के साथ एकजुट किया जाता है, जो हिन्दुत्व को अपने स्वार्थ के रास्ते में रूकावट के रूप में देखते हैं। इस सब को नाम दिया जाता है, धर्मनिर्पेक्षता का मकसद बताया जाता है अल्पसंख्यकों की रक्षा का। इस बीच हिन्दुओं पर हमले तेज हो जाते हैं जगह- जगह हिन्दुबहुल क्षेत्रों व मन्दिरों में बम्ब विस्फोट हिन्दुओं के त्योहारों के आस पास या त्योहारों पर कर दहशत फैलाई जाती है ।
जब हिन्दूसमाज में क्रोध पैदा होने लगता है तो फिर धर्मनिर्पेक्षतावादियों व जिहादियों के गिरोह द्वारा मुसलमानों को अनपढ़ ,गरीब व हिन्दुओं द्वारा किए गये अत्याचारों का सताया हुआ बताकर धमाकों में मारे गये हिन्दुओं के कत्ल को सही ठहराया जाता है । हिन्दुओं के कत्ल का दोष हिन्दुओं पर ही डालने का षडयन्त्र रचा जाता है।
मुस्लिम जिहादी आतंकवादियों व उनके समर्थकों द्वारा रचे गये इस षड्यन्त्र के विरूद्ध हिन्दुओं को सचेत करने वालों व इन जिहादी हमलों के विरूद्ध खड़े होने वालों पर सांप्रदायिक कहकर हमला बोला जाता है । जिहादियों द्वारा फिर हिन्दुबहुल क्षेत्रों व मन्दिरों में हमले किए जाते हैं हिन्दू कहीं एकजुट होकर जिहादियों व इन के समर्थकों का सफाया न कर दें इसलिए बीच-बीच में हिन्दुओं को जाति,भाषा,क्षेत्र के आधार पर लड़ाए जाने का षड्यन्त्र रचा जाता है।
साथ में जिहादियों के तर्कों को अल्पसंख्यकवाद के नाम पर हिन्दुओं के मूल अधिकारों पर कैंची चलाकर मुसलमानों को विशेषाधिकार दिए जाते हैं। फिर जिहादियों द्वारा जगह- जगह हिन्दुबहुल क्षेत्रों व मन्दिरों में बम्बविस्फोट किये जाते हैं। फिर हिन्दुओं द्वारा इन हमलों के विरूद्ध आवाज उठाई जाती है। फिर आवाज उठाने वालों को सांप्रदायिक बताकर जागरूक हिन्दुओं को चिढ़ाया जाता है व बेसमझ हिन्दुओं को मूर्ख बनाने के लिए एक आधा मस्जिद के आस पास इस तरह बम्ब विस्फोट करवाकर हिन्दुओं में दो तरह का भ्रम पैदा किया जाता है। कि हमले सिर्फ मन्दिरों पर नहीं हो रहें हैं मस्जिदों पर भी हो रहे हैं दूसरा ये हमला हिन्दुओं ने किया है हिन्दू फिर छलावे में आ जाते हैं अपने-अपने काम में लग पड़ते हैं। ये धरमनिर्पेक्षों व जिहादियों का गिरोह साँप्रदायिक दंगों को रोकने के बहाने जिहादियों की रक्षा करने के नये-नये उपाय ढूँढता हैं। प्रायोजित कार्यक्रम कर हिन्दुओं की रक्षा में लगे संगठनों को बदनाम करने की कोशिश की जाती है। फिर जिहादियों द्वारा हिन्दुबहुल क्षेत्रों में हमले किए जाते हैं फिर इन हमलों को न्यायोचित ठहराने के लिए ये गिरोह जी जान लगा देता है फिर नये-नये बिके हुए गद्दार समाजिक कार्यकर्ता हिन्दुओं पर हमला बोलते हैं ये कार्यक्रम चलता रहता है जिहाद आगे बढ़ता रहता है ..........
फिर आता है तृतीय चरण जिसमें जिहादी और आम मुसलमान में फर्क खत्म हो जाता है । हिन्दुओं को हलाल कर, हिन्दुओं की मां बहन बेटी की आबरू लूटकर , हिन्दुओं को डराकर भगाकर जिहादियों द्वारा चिन्हित क्षेत्र को हिन्दुविहीन कर उसे बाकी देश से अलग होने का मात्र ऐलान बाकी रह जाता है। ध्यान रहे इस अन्तिम दौर में हलाल होने वाले वो हिन्दू होते हैं जो हिन्दुत्वनिष्ठ हिन्दुओं के कत्ल के वक्त जिहादियों का हर वक्त साथ देते हैं या ऐसे काम करते हैं जो जिहाद को आगे बढ़ाने मे सहायक होते हैं ।
इस हमले के बाद इस हिन्दू विरोधी गिरोह ने अपने पाँच वर्ष के जिहाद समर्थक व देशविरोधी कामों पर परदा डालने के लिए कुछ लोगों के त्यागपत्र लिए । हमारे विचार में ये हमला इस सारे गठबन्ध के सामूहिक जिहाद समर्थक प्रयासों का परिणाम है । हम सिर्फ सरकार की बात नहीं कर रहे सरकार के साथ-साथ सब देशविरोधी-हिन्दुविरोधी जिहादी आतंकवाद समर्थक लेखकों, पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, समाचार पत्रों व चैनलों की बात कर रहे हैं । ये वो गिरोह है जिसने पिछली सरकार द्वारा मुस्लिम आतंकवादियों के विरूद्ध की गई हर कार्यवाही को मुस्लिम विरोधी करार दिया और उसमें बाधा डाली ।
मुम्बई हमले के बाद जिहादियों के विरूद्ध सख्त दिखना सरकार की मजबूरी इसलिए भी है क्योंकि यह हमला आम गरीब लोगों के साथ-साथ मालदार लोगों पर भी हुआ है। जिसने मालदार लोगों में दहशत पैदा कर दी है। सरकार इसलिए भी गम्भीर दिख रही है क्योंकि इस हमले में विदेशी भी मारे गए हैं पहले के हमलों में मारे जाने वाले अधिकतर गरीब या मध्यम वर्ग के हिन्दू ही होते थे। इसलिए इन जिहादियों को सरकार अपना भाई बताकर मरने वालों के परिवार वालों के जले पर नमक छिड़कने का काम करती थी ।
किसी ईसाई को जिहादी कत्ल कर दें और अंग्रेज एंटोनियो की ये गुलाम सरकार चुप बैठी रहे ,ऐसा कैसे हो सकता है। क्या आपको याद है कि कुछ महीने पहले इसी मुम्बई में ट्रेनों में हुए बम्ब विस्फोटों में इतने ज्यादा हिन्दू मारे गए थे और सरकार के कानों पर जूँ तक न रेंगी थी।
मुम्बई पर हमला सरकार की भ्रमित व हिन्दुविरोधी सोच का भी दुष्परिणाम है क्योंकि जिस तरह पिछले कुछ समय में मुस्लिम जिहादियों द्वारा हिन्दुबहुल क्षेत्रों में सैंकड़ों बम्ब विस्फोट कर देने के बावजूद सरकार आज भी सांप्रदाचिक हिंसा की बात कर जिहादियों द्वारा किए जाने वाले हमलों की प्रतिक्रिया स्वरूप देशभक्तों द्वारा आत्मरक्षा में जिहादियों के विरूद्ध की जाने वाली कार्यवाही को रोकने के षड्यन्त्र रच रही है । उससे से तो यही सिद्ध होता है कि सरकार जिहादी आतंकवादियों की रक्षा करने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है।
अगर आप सोचते हैं कि इस हमले के बाद सरकार की सोच बदल गई है तो अपकी सोच भ्रमित है सरकार ने 23 दिस्मबर 2008 को जो कानून व कानूनों में संसोधन पास करवाए उन सबका सार ये है कि अब पुलिस सात साल से कम सजा वाले अपराध करने वाले अपराधियों को सीधे गिरफ्तार नहीं कर सकती है इनमें प्रमुख अपराध हैं हत्या , लूटपाट, धोखाधड़ी, बलात्कार व छेड़छाड़ आदि। अब आप सोचो सरकार को किसकी चिंता है, अपराधियों की या कानून का पालन करने वाली आम जनता की ।
हम दाबे के साथ कह सकते हैं कि अगर पुलिस के उपर राजनीतिक दबाव न हो तो ज्यादतियां होने का प्रश्न ही पैदा नहीं होता। फिर भी अगर 2-4% लोग ऐसी ज्यादतियों का शिकार हो भी जाते हैं तो भी सरकार इन 2-4% लोगों को बचाने के लिए 80% से अधिक लोगों के जान-माल को कानून कमजोर कर खतरे में कैसे डाल सकती है ?
वैसे भी लोगों को ऐसी ज्यादतियों से बचाने के लिए देश में न्यायालय मौजूद हैं सारा मामला बिगड़ता है राजनीतिक हस्तक्षेप से । जरूरत है सुरक्षाबलों को राजनीतिक हस्तक्षेप से आजाद करवाने की व लोगों को अपराधियों के भय से मुक्त करवाने की लेकिन ये जनताविरोधी-देशविरोधी सरकार अपराधियों को कानून के भय से मुक्त करवा रही है।
कमोवेश यही स्थिति सरकार की आतंकवाद से जुड़े मामलों पर है । पहले तो सरकार ने पोटा हटाकर पांच वर्ष तक आतंकवादियों को लोगों को मौत के घाट उतारने की खुली छूट दे रखी। फांसी की सजा पाए आतंकवादी की फांसी रोककर सुरक्षाबलों को सपष्ट संदेश दे दिया कि सरकार हर हाल में आतंकवादियों के साथ है । इसलिए सुरक्षाबल मुस्लिम आतंकवादियों से दूर रहें।
चुनाव नजदीक आते देखकर व जनता के आतंकविरोधी रूख से मजबूर होकर जब सरकार ने आतंकवादविरोधी कानून बनाया भी तो उसके दांत तोड़ दिए । कुलमिलाकर सरकार की मनसा आतंकवाद के विरूद्ध कठोर कार्यवाही करने के बजाए जनता को चुनावों तक भ्रमित रखकर चुनाव जीतने की है इसीलिए सरकार का एक मंत्री भारत की भाषा बोलता है तो दूसरा पाकिस्तान की । मतलव सरकार राष्ट्रवादियों व अलगाववादियों दोनों को खुश करने का प्रयत्न कर रही है।
आज सरकार पाकिस्तान का नाम लेकर पिछले पांच वर्षों में किए गए देशविरोधी कामों पर परदा डालने की कोशिश कर रही है पाकिस्तान भारत का शत्रु है। पाकिस्तान ने आतंकवादी भेजे, मुस्लिम आतंकवादियों को पाकिस्तान ने ट्रेनिंग दी, वहां आतंकवादी ट्रेनिंग कैंप हैं ।अमेरिका पाकिस्तान पर कोई कार्यवाही नहीं कर रहा है।(जिसकी सहायता से ये कैंप बनें हैं वो हमारी सहायता क्यों करेगा ? ) पाकिस्तान ने हम पर युद्ध थोपा है। इसमें नया क्या है ? ये काम तो पाकिस्तान 1947 से ही कर रहा है।
अगर आप सोचते हैं कि ये युद्ध सिर्फ पाकिस्तान लड़ रहा है तो आप गलत है बेशक वहां से प्रशिक्षण व हथियार इन जिहादी आतंकवादियों को मिलते है । पाकिस्तान के निर्माण का आधार ही सर्वधर्मसम्भाव के ध्वजवाहक हिन्दुओं से शत्रुता है। आतंकवाद पाकिस्तान के निर्माण, अस्तिव व विदेश नीति का आधार है। पाकिस्तान बनाया ही उन जिहादी आतंकवादियों के लिए गया है जो सर्वधर्मसम्वाभ के बजाए हिंसा को हथियार बनाकर इस्लाम का विस्तार व गैर मुस्लिमों को हलाल करने में विश्वाश रखते हैं । दूसरे देशों के टुकड़ों पर पलने वाले पाकिस्तान की इतनी औकात नहीं कि वो अपने बल पर हिन्दुस्थान से पंगा लेने का दुस्साहस कर सके ।
पाकिस्तान ये सब साऊदी अरब व अमेरिका जैसे मुस्लिम व ईसाई देशों की सहायता व इशारे पर कर रहा है। ये देश भारत के नेताओं के देशविरोधी विकाऊ स्वभाव को पहचान कर इन नेताओं को खरीद कर इन नेताओं से देशविरोधी-हिन्दुविरोधी काम करवा रहे हैं और आतंकवाद के माध्यम से अपने-अपने मुस्लिम व ईसाई हितों को आगे बढ़ा रहे हैं ।
भारत का हर राष्ट्रवादी नागरिक व संगठन इस बात को जानता है, समझता है। उसके विरूद्ध कार्यवाही की मांग उठाता है। देश में ऐसे कठोर कानून की मांग करता है जिससे भारत में लेखकों, मानवाधिकार संगठनों, मीडिया चैनलों, पत्रकारों व सेकुलर नेताओं के वेश में छुपे आतंकवादियों व धर्मांतरण के मददगारों को समाप्त किया जा सके । देश में पाकिस्तानी षड़यन्त्र कामयाव न हो पायें इसके लिए भारत में सब के लिए एक जैसे कानून की मांग करते हैं । एसी मांग करने वालों को सांप्रदायिक कौन कहता है ? कठोर कानून का विरोध कौन करता है? सांप्रदाय के आधार पर कानून कौन बनाता है ? आतंकवादीयों के विरूद्ध काम करने वाले सुरक्षाकर्मियों को कौन जेलों में डालता है ? जनता को जागरूक करने वालों का कौन विरोध करता है ? सुरक्षा कर्मियों द्वारा मारे गए मुस्लिम आतंकवादियों के परिवारों की जिम्मेवारी उठाकर वाकी मुसलमानों को आतंकवादी बनने के लिए हौसला कौन बढ़ाता है ? आतंकवादियों को अपना भाई कौन बताता है ? सुरक्षाकर्मियों द्वारा अपनी जान जोखिम में डालकर पकड़े गए मुस्लिम आतंकवादियों को सबूत पेश न कर या कानून बनाकर या दबाव वनाकर छुड़वाता कौन है ? पाकिस्तान के इशारे पर काम करने वाले सिमी जैसे मुसलिम आतंकवादी संगठनों की पैरवी कौन करता है ? पाकिस्तानी मुस्लिम आतंकवादियों को स्थानीय सहायता कौन देता है ? शहीदों का अपमान कौन करता है ?
ये सब करने वाला है ये सेकुलर गिरोह। पाकिस्तान हमारा शत्रु है उसका काम है हम पर हमला करना पर ये सेकुलर गिरोह कौन है ? ये भारत के ही लोग हैं ये क्यों भारत को अफगानीस्तान बनाने पर तुले हैं ? ये क्यों पाकिस्तान की तरह सवधर्मसम्भाव के ध्वजवाहक हिन्दुओं व उनके संगठनों के शत्रु बन बैठे हैं ?
जिस तरह आज पाकिस्तान भारत द्वारा दिए गए हर सबूत को नकार रहा है ठीक इसी तरह ये सेकुलर गिरोह भी सुरक्षाबलों या एन.डी.ए सरकार द्वारा मुस्लिम आतंकवादियों के विरूद्ध जुटाए गय हर प्रमाण को नकारता रहा व उस सरकार द्वारा आतंकवादियों के विरूद्ध की गई हर कार्यवाही का विरोध करता रहा व सता में आने पर मुस्लिम आतंकवादियों के विरूद्ध पाकिस्तान की तरह कार्यवाही करने के बजाए उसे बढ़ावा देता रहा ।
आज आतंकवाद भारत में अगर इस भयानक स्तर तक पहुंचा है तो इसके लिए पाकिस्तान से कहीं अधिक ये सेकुलर गिरोह जिम्मेदार है। हमारे विचार में यही बजह है कि ये बिका हुआ नेतृत्व अपने बल पर इन मुस्लिम आतंकवादियों से निपटने के बजाय इन देशों के आगे गिड़गड़ा रहा है । वरना भारत की सेना पाकिस्तान नामक इस राक्षस का नमोनिशान कुछ घंटों में मिटाकर समस्या की जड़ को हमेशा के लिए खत्म कर सकती है।
अगर आप पिछले इतिहास को उठाकर देखें तो आपको पता चलेगा कि किस तरह भारतीय सेना द्वारा प्राप्त विजय को नेताओं ने वार्ता की मेज पर हार में बदल दिया ।
आज ये सेकुलर गिरोह बार-बार आतंकवादियों के सरदारों की मांग कर रहा है जो कि जरूरी है। परन्तु हमें तो हैरानी होती है ये सोचकर कि कहीं पाकिस्तान सच में भारत की बात मानकर सब वांछित आतंकवादियों को भारत के हवाले कर दे तो माननीय सर्वोच्चन्यायालय से फांसी की सजा प्राप्त आतंकवादी को फांसी देने में असमर्थ नेता उन आतंकवादियों का करेंगे क्या ?
हो सकता है इस सेकुलर गिरोह की ये सरकार चुनाव जीतने व विदेशी अंग्रेज एंटोनियों माइनो मारियो के विदेशीमूल के मामले को हमेशा के लिए खत्म करने के लिए पाकिस्तान पर हमला कर दे या फिर ऐसा भी हो सकता है ये सिर्फ बयानबाजी करते रह जायें और पाकिस्तान ही तालिवान को साथ लेकर दुनिया का ध्यान आतंकवादी कैंपों से हटाने के लिए भारत पर हमला कर दे।
कुल मिलाकर इस जंग में मारे जाने वाले निर्दोष हिन्दुओं व मुसलमानों की मौत के लिए पाकिस्तान के साथ-साथ ये सेकुलर गिरोह भी जिम्मेवार होगा जिसने भारत में हालात को इस हद तक बिगाड़ने में हर तरह से सहयोग दिया व राष्ट्रवादियों को सांप्रदायिक कहकर उनका हर तरह से रास्ता रोककर इस आतंकवाद रूपी राक्षस को आगे बढ़ने का मौका दिया।
हम इस सरकार को यह सपष्ट कर देना चाहते हैं कि पाकिस्तान से युद्ध करने से पहले देश के भीतर बने मुस्लिम आतंकवादी नेटवर्क को ध्वस्त कर, आतंकवादियों को उनके आकाओं सहित नेस्तनानबूद करना वक्त की पुकार है इन आकाओं में अबदुल रहमान अन्तुले जैसे सरकार के अपने लोग भी सामिल हैं।
अतः पाकिस्तान के साथ किसी भी युद्ध से पहले देश में एक ऐसे देशभक्त सासन की जरूरत है जो इन आतंकवादियों के ठेकेदारों से मुक्त हो । इसलिए भारतीय सेना को यह सुनिष्चित करना चाहिए कि जब तक विदेशी की गुलाम व मुस्लिम आतंकवादियों के आकाओं से भरी पड़ी ये सेकुलर गिरोह की सरकार सता में है तब तक युद्ध न हो पाए । फिर भी अगर ये सरकार देश को युद्ध में धकेलती है तो सेना सासन अपने हाथ में लेकर अपने हिसाव से से ये निर्णायक युद्ध लड़े । जरूरत पड़ने पर देश के भीतर के गद्दार नेताओं, पत्रकारों, लेखकों, मीडिया कर्मियों, मानवाधिकारवादियों को भी मौत के घाट उतार दे । देश का हर राष्ट्रभक्त नागरिक सेना के देशहित में किए गए हर काम का समर्थन करेगा।
ये सरकार न केवल खुद हिन्दुओं को मरवाने की साजिश रच रही है पर साथ ही सुरक्षाबलों को भी हिन्दुओं के विरूद्ध भड़का रही है क्योंकि गुलाम प्रधानमंत्री ने 26 नवम्बर 2008 से कुछ दिन पहले सुरक्षाबलों से बहुसंख्यकों बोले तो हिन्दुओं द्वारा विरोध किए जाने के बावजूद अल्पसंख्यकों बोले तो मुस्लिम जिहादियों का विश्वास जीतना जरूरी बताया । साथ ही सुरक्षाबलों को ये कहा कि सफल होने का यही एकमात्र रास्ता है अब इस गुलाम प्रधानमंत्री से कोई पूछे कि क्या इसी विश्वास को जीतने के लिए सरकार हिन्दुओं को आतंकवादी कह रही है, भगवान राम के अस्तित्व को नकार रही है, जिहादियों को अपना भाई बता रही है ? जिसके परिणाम स्वरूप मुस्लिम आतंकवादी लगातार बम्ब विस्फोट कर रहे हैं ।
हम सुरक्षाबलों से एक ही विनती करेंगे कि वो आतंकवादियों को ,देशद्रोहियो को, गद्दारों को, आल्पसंख्यक या बहुसंख्यक की निगाह से न देखें बल्कि इससे पहले कि जिहादियों से दुखी लोग कानून खुद अपने हाथ में लेकर जिहादियों के विरूद्ध कार्यावाही करें, सुरक्षाबल खुद देश में छुपे जिहादियों को गोली मारें व जिहादियों का समर्थन करने वालों को भी न बख्शें । क्योंकि सारी समस्या की जड़ यही समर्थक हैं ।

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