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मोदीराज लाओ

मोदीराज लाओ
भारत बचाओ

मंगलवार, 23 अप्रैल 2013

वरना इस अराजकता के फलस्वारूप हथिरबन्द गृहयुद्ध के हालात तो लगातार बनते ही जा रहे हैं


समझ नहीं आता कि पुलिस को गाली देने वाले सेकुलर गद्दारों की टोली में देशभक्त भी कैसे सामिल हो गए? मित्रो हमारा मानना था कि देशभक्त संगठनों से जुड़े लोग जागरूक और समझदार हैं व सेकुलर गिरोह से जुड़े लोग या तो बोद्धिक गुलाम हैं या फिर भारत के दुशमनों के टुकड़ो पर पलने वाले परजीवी लेकिन दिल्ली में 5 वर्ष की मासूम वेटी पर हुई दरिन्दगी के बाद जिस तरह कुछ देशभक्त संगठनों से जुड़े लोग सड़कों पर उतरे वो भी सिर्फ पुलिस प्रमुख का इस्तीफा मांगने के लिए उससे सिद्ध हो गया कि देशभक्तों को भी अभी बहुत जागरूक करने की जरूर है। हम जानते हैं कि आप सब ये सोच रहे होंगे कि जब मासूम पर इतना जघन्य अपराध हुआ हो तो पुलिस प्रमुख का इस्तीफा मांगने में क्या हर्ज है ? आज देश की किसी भी छोटी से छोटी राजननीतिक पार्टी से जुड़ा हर वयक्ति जानता है कि पुलिस अधिकारियों की नियुक्ति नेता लोग अपनी सुविधा अनुशार करते हैं और अगर गलती से भी किसी पुलिस वाले ने सच्चे अर्थों में कानून लागू किया तो उसकी शामत आ जाती है आपको याद होगा कि किस तरह महाराष्ट्र विधानसभा में गुंडो जो कि चुने हुए बिधायक हैं ने मिलकर पुलिस वाले की धुनाई की और कितनी ही बार किसी सतासीन नेता का चलान काटने पर चलान काटने वाले पुलिस के जवान की ऐसी की तैसी कर दी गई। आपको अच्छी तरह से याद होगा कि जिन भी पुलिस वालों ने इसलामिक आतंकवादियों को निर्दोश भारतीयों के जान-माल का नुकसान करने से पहले मार गिराया उनमें से अधिकतर पुलिस के जवान और अधिकारी सोनिया गाँधी व उसकी सलाहकार परिषद की कृपा से आज जेलों में यातनायें सहने को मजबूर हैं बटला हाऊस इन्कांटर तो आपको याद होगा ही जिसके बाद इसलामिक आतंकवादी के मरने पर सोनिया गाँदी सारी रात फूट-फूट कर रोती रही व अमर सिंह व दिगविजय सिंह ने अपने प्राणों की वाजी लगाने वाले जवान शहीद मोहन दन्द शर्मा जी को किस तरह अपमानित किया... जरा ध्यान से सोचो कि सोनिया गांधी की गुलाम सरकार के भ्रष्टाचार पर नकेल डालने की कोशिश करने वाले सेना प्रमुख को किस तरह अपमानित कर एक वर्ष पहले ही घर विठा दिया गया आज आतंकवादियों को मारने वाले कितने ही सैनिकों को उनके कमांडरों सहित जेलों में डाल दिया गया है पिर भी लोग ये उम्मीद करते हैं कि एक कांसटेवल या थानेदार जिसको सरकार न तो सीधी कार्यवाही करने की इजाजत देती है और न ही सीधी कार्यवाही करने के लिए पैसा वो कांसटेवल सबकुछ अपने आप कर लेगा... रही बात बच्ची पर बालाकार की तो इस पर भी गहराई से सोचने की बात ये है कि अगर पुलिस रिपोर्ट लिखते ही बच्ची के घर के आसपास के घरों में वेरोकटोक तलासी अभियान चलाती तो यही रवीश(Rubbish) जैस लोग पुलिस पर पिल पड़ते कि पुलिस वाले गुंडा गर्दी कर रहे हैं और ये जो मूर्ख लोग मिडीया के प्रोपगंडे से प्रभावित होकर मूर्खता करते हैं वही लोग पुलिस के विरूद्ध सड़कों पर उतर आते इसी विकाऊ मिडीया के उकसावे पर। देखो मित्रो अपना कहना बिलकुल सपष्ट है कि पुलिस तभी असरदार हो सकती है जब उसे खुली छूट हो अपनी कार्यवाही को अन्जाम देने की बरना ये सब पाखंड है का हिस्सा है पुलिस को गाली गलौच करना आप सब जानते हैं कि कुलदीप नैयर, रवीश,बर्खा दत्त, महेश भट्ट, तहलका जैसे दर्जनों ISI ऐजेंट हमेशा पुलिस को बदनाम करने के लिए त्यार रहते हैं ये कुछ नाम हैं वरना इनकी सूची बहुत लम्बी है ये तो ऐसे गद्दारों की किसमत अच्छी है कि हमारे जैसे लोग पुलिस में नहीं हैं वरना पुलिस को बदनाम कर भारतीयों की सुरक्षा को खतरे में डालने वाले ऐसे गद्दारों को हम कब के गोलियों सो भून चुके होते अगर आप सोच रहे हैं कि हमें पुलिस से तो हमें कोई हमदर्दी है तो आप पूरी तरह से गलत हैं क्योंकि हम भी पुलिस की ज्यादती का सिकार हो चुके हैं लेकिन हम अच्छी तरह जानते हैं कि उसमें ततकालीन सरकार के एक विधायक का हाथ था जो उसके लिए उगाही करने बाले चमचों के कहने पर वो करता गया जो उन चमचों ने कहा।... हम पुलिस के पक्ष में नहीं वल्कि आम भारतीयों की रक्षा हेतु ये सब लिख रहे हैं क्योंकि राजनीतिक हस्तक्षेप से जो अराजकता पैदा होती है उससे सबसे ज्यादा प्रभावित आम-गरीब व मद्यमबर्ग से जुड़े लोग ही होते हैं और वहीं सेकुलर गद्दारों के झूठे प्रौपेगंडे का शिकार होर भारतविरोधी सेकुलर गद्दारों को सता में लाते हैं फिर छाती-पीटते रहते हैं... बलातकार और दरिंदगी का सिर्फ एक गांधीनगर का ही मामल नहीं ऐसे ही लगभग दर्जनों मामले आज कल चर्चा में हैं और सब मामलों में एक बात सांझी है कि बालातकार व दरिंदगी करने वाले मोबाईल पर अशलील फिल्म(Blue Film) देख रहे थे ऐसी फिल्में देखने वालों में नवालिगों की बहुत बड़ी संख्या है अगर आपको नहीं जानकारी तो बता दें कि भारत के हर गली मुंहल्ले और गांव में पीने का पानी या विजली हो या न हो लेकिन नशा और ये अशलील फिल्में हर जगह उपलब्ध हैं और इसकी जानकारी नेताओं से लेकर हर प्रसासनिक अधिकारी को है लेकिन क्योंकि हर राजनितीक दल को इन बालातकारियों और नशैड़ियों के बोट चाहिए इसलिए पुलिस को कतई ये इजाजत नहीं कि वो इनके विरूद्ध कार्यवाही करे और इससे भी बड़ी रोचक बात ये हैं कि इन धन्दों को चलाने वाले अधिकतर या तो नेता हैं या फिर उनके रिस्तेदार या फिर उनके लिए उगाही करने वाले... रानी उर्फ गुड़िया के साथ दरिंदगी के बाद होना तो ये चाहिए था कि उस लड़के के मोबाईल में अशलील फिल्म लोड करने वाली कड़ियों का पता लगाकर व इस तरह की साईटें चलाने वालों व फिल्में या धारबाहिक बनाने वालों को इन दरिंदो के साथ एक चौराहे पर खड़ कर इस्लामिक तरीके से सजा दी जाती और उसे सभी चैनलों पर लाईब दिखाया जाता तो भारत की रग-रग को खोखला करने वाला ये सारा कारोवार रातोंरात खत्म हो जाता काश संघ ने संजय गाँधी की बात मान ली होती तो भारत आज इस तरह बरबाद न होता अभी भी वक्त है एक वार मोदी जी को चुनकर शांति से इस अराजकता को खत्म करवाने की कोशिश करके देख लो वरना इस अराजकता के फलस्वारूप हथिरबन्द गृहयुद्ध के हालात तो लगातार बनते ही जा रहे हैं अब आप ही बताओ कि इस अराजकता में कोई अपनी डयूटी सही से करे तो कैसे? अगर आपको अभी भी लगता है कि इस अराजकता के लिए सेकुलर गिरोह की जगह पुलिस ही जिम्मेदार है तो जी भर कर गाली निकालिए...

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