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मोदीराज लाओ

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भारत बचाओ

गुरुवार, 19 अगस्त 2010

समरसता के प्रेरणास्त्रोत हमारे डा. भीमराव अम्बेडकर जी--3

विभाजन के बाद Hindu Code Bill अम्बेडकर जी की हिन्दू समाज को सबसे बढ़ी देन है । इसी में अम्बेडकर जी ने ‘हिन्दू किसे कहते हैं, इसकी व्याख्या की जिसमें सपष्ट कहा गया कि विदेशी धारणाओं इस्लाम और इसाईयत को छोड़कर भारत में रहने वाले (हिन्दू-सिख-बौद्ध-जैन----इत्यादि) सब लोग हिन्दू हैं।



ये उन्हीं की दूरदर्शिता थी कि उन्होंने SC/St के नाम से वंचित हिन्दूओं के लिए अलग से आरक्षण की व्यवस्था बनाकर अंग्रेजों के बड़े पैमाने पर धर्मांतरण करने के षडयन्त्र को असफल किया।


अम्बेडकर जी ने सबको राजकीय समानता दिलवाते हुए सबके लिए एक ही वोट का प्रावधान किया। डा. भीमराव अम्बेडकर जी ने 1965 में कहा कि वेशक मेरा जन्म हिन्दू धर्म में हुआ है पर हिन्दू के रूप में मैं मरूंगा नहीं ।


अपनी जिन्दगी में जाति के कारण भी कई तरह के असहनीय कष्ट सहने के बाद भी उन्होंने हिन्दू हित के लिए काम करते हुए अन्त में बौद्ध मत अपनाया जो कि हिन्दू समाज का अपना ही मत है इसलिए उसे धर्मांतरण नहीं कहा जा सकता। उन्होंने किसी विदेशी अबधारणा को नहीं अपनाया। ये भी उनके मन में अपने देश-संस्कृति के प्रति अटूट प्रेम को दर्शाता है।


हैदराबाद के निजाम द्वारा 40 करोड़ ( आज आप अनुमान लगा सकते हैं कि कितना अधिक धन बनता है ये) व औरंगावाद में बंगला,जमीन का प्रलोभन देने के बाबजूद डा. भीम राव अम्बेडकर जी ने अत्याचारी इस्लाम स्वीकार नहीं किया ।


इसी तरह उन्हें ईसाईयों द्वारा ईसाईयत अपनाने के लिए भी कई तरह के प्रलोभन दिए गए लेकिन उन्होंने ईसाई बनना भी सवीकार नहीं किया।


वो अच्छी तरह जानते थे कि ये दोनों विदेशी अवधारणायें देशहित-हिन्दू हित में नहीं हैं ।


उन्होंने अपने वंचित हिन्दू भाईयों को सपष्ट आदेश दिया कि बेशक अपने हिन्दू भाईयों में कमियां हैं वो गुलामी के प्रभाव के कारण स्वर्ण मानसिकता के शिकार हैं पर अत्याचारी मुसलमान व लुटेरे ईसाई किसी भी हालात में हमारे हित में नही हो सकते ।


आज जिस तरह धरमांतरित हिन्दूओं को दलित व काले ईसाई कहकर पुकारा जा रहा है व धर्मांतरित हिन्दूओं को जिस तरह पाकिस्तान व बंगलादेश में मस्जिदों में बमविस्फोट कर मारा जा रहा है ,मुहाजिर कहा जा रहा है भारत में भी मुसलिम बहुल क्षेत्रों में निशाना बनाया जा रहा है उसे देख कर आप समझ सकते हैं कि डा. भीमराव अम्वेडकर जी कितने दूरदर्शी व देशहित-हिन्दूहित में कितने विस्तार से सोचने व निर्णय लेने में समर्थ थे।


दुनिया को धर्म सिखाना ही भारत की विभूतियों का काम है Deep Cultural Unity in our Society(India) में लिखते हैं कि आपस में झगड़ों के बाबजूद हिन्दू समाज एक है और एक रहेगा । मानसिकता में परिवर्तन के साथ ही ये झगड़े भी समाप्त हो जायेंगे।


1916 में लखनऊ पैक्ट में 13% मुसलमानों को 30% सीटें देने का उन्होंने कांग्रेस के हिन्दूविरोधी रूख के बाबजूद डटकर विरोध किया। उन्होंने कहा कि जो बात हिन्दू हित की नहीं वो देशहित की कैसे हो सकती है।आज हर देशभक्त को अपने घर में डा. भीमराव अम्बेडकर जी का चित्र लगाना चाहिए व उनके बताए मार्ग पर चलने का प्रयत्न करना चाहिए।
                                                                                      अन्तिम कड़ी

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